आज का शब्द: कलिका और महादेवी वर्मा की कविता 'इस पथ से आना'
वो जश्न मना रहे थे मेरे जश्न में न होने के, मैं मुस्कुरा रहा था उनकी नादानी पे।
میں جینا ہاں تیرا تو جینا ہے میرا دس لینا کی نخرا دیکھا کہ
जवाब उसका था उत्तर मैं, कहानी उसकी थी और किरदार मैं।
The Indian Gentlemen’s hockey crew secured their second consecutive Olympic bronze medal, obtaining this feat for the first time in fifty two several years.
सब हारने का जश्न मना रहे थे, हम अपने जीतने का समाचार देकर शोक फ़ैला गए।
मिरी ज़िंदगी तो गुज़री तिरे हिज्र के सहारे
हमा-ओस्त समूह से ताल्लुक़ रखने वाले सूफियों का कहना है कि चूँकि ख़ुदा ख़ुद फ़रमाता है कि मैं ज़मीन और आस्मानों का नूर हूँ इसलिए हर चीज़ उस नूर का एक shayri हिस्सा है।
लगता है अब मौसम एक कहानी हो गया है, तू मुझमे ज़ाफ़रानी हो गया है।
जब नशे की हालत में मुशायरे से फ़ैज़ साहब के कमरे तक पहुंच गए थे स्ट्रगलर जावेद अख़्तर
जिनका नाम ले ले कर मेरी सांसें चलती हैं !
तुम्हारे मिलने के बाद नाराज़ है रब्ब मुझसे,
मिलो और बातें चार कर कुछ मुद्दे ही सुलझा लो..!!
तुम्हारी यादों पर इख़्तियार हो नही सकता